Sunday, June 29, 2025
शायद उस नादीकिनारे पे अस्तित्व में आया सूरज, थोड़े से बादल भी अपनी गति को स्थगित कर रहे हो, शायद तुम्हे निहारना किसी स्पर्श से ज्यादा महत्व रखता हो, मेरी सांसे थोड़ी बढ़ रही है मगर भीतर में कोई निरवता छाई हुई है, ये पल कभी आगे बढ़े ही नही, तुम्हारा सहवास ही तुम्हारे समीप बैठना ही कोई मोक्ष है, में कोई संत नहीं मेरी भी खामियां है पर ये लम्हों में उनसे मुक्ति पाता हूं, ये तुम्हारा ही साथ होने के प्रभाव से है, मेरे शब्द से ज्यादा साथ होने का एहसास तुम करो ये मायने रखता है, दुनिया के तौर तरीको से या तो प्रेम की अभिव्यक्ति में इतना ज्यादा समर्थ नहीं हूं मगर तुम्हारी समझदारी पता है,मेरा बचपना तुम झेल लोगी
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Banglore Day 1
Day ૧ બેંગ્લોરની સફર માટે આમ તો પરફેક્ટલિ રેડી જ હતા પણ એલાર્મ નું નોટ સો મધુર ધૂને મારા કાન ના કોષોની આત્માને થર્ડ ડિગ્રી ટોર્ચર કરી દીધું ...
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